शनिवार, 3 अक्तूबर 2009

छायावाद


जब झिझक हो
संकोचवश
कुछ कह न पाओ
जब हृदय की बात को
तुम जीभ पर
बिल्कुल न लाओ
जब हृदय में कोई कर ले घर
बिन पूछे बताये
और तुम उसको छिपाओ
न भटको सत्य से
पर सत्य का आभास तुम सबको कराओ
तो समझो हो गई अनुकूल जलवायु
छायावाद को।

शनिवार, 27 सितंबर 2008

ईद-उल-फितर


भाइयो मिलकर मनाओ ईद
दिल में न रह जाए कसक और फिकर
गर गरीबी में दबा हो कोई बन्दा
बाँट फितरा दिखा उसको भी जिगर
पर न जिन्दा जनावर को मार
मुर्दा खा ना बन्दे कर परिंदे बेफिकर
दर और दरिया मान सबका
मौहब्बत का सब बराबर सब बराबर

ज़र और जोरू है सलामत
ख़ुद की व औरों की, रख पाक अपनी भी नज़र
सरहद हिंद पर मरने का ज़ज्बा पाल
कर दे दुश्मनों को नेस्तनाबूद और सिफर
----- तभी होगी ईद-उल-फितर।

सोमवार, 15 सितंबर 2008

अभी नहीं


रोज़

स्याह बिल्ली

काटती है रास्ता

सोचता हूँ

एक दिन मैं भी

गुजर जाऊँ, उसके रास्ते से

देखूं होगा क्या...?

मगर,

दो मासूम बच्चे

देख उसके

सोचता हूँ - 'अभी नहीं'।