सोमवार, 15 सितंबर 2008

अभी नहीं


रोज़

स्याह बिल्ली

काटती है रास्ता

सोचता हूँ

एक दिन मैं भी

गुजर जाऊँ, उसके रास्ते से

देखूं होगा क्या...?

मगर,

दो मासूम बच्चे

देख उसके

सोचता हूँ - 'अभी नहीं'।

2 टिप्‍पणियां:

Sumit Pratap Singh ने कहा…

ब्लॉगम के संसारम में आपका है सुस्वागतम। ऐसी ही रचनाएँ लिखते रहें अच्छम-अच्छम।

शैली ने कहा…

wah-wah